Saturday 19 October 2013

संसद में बैठे उम्रदराज 
कर युवाशक्ति को नजरंदाज़ 
60 साल के ऊपर हो गए 
पर है घोटालों के सरताज।

संसद को बना मैदान-ए-जंग
लड़ते-भिड़ते हैं सांसद
देश से मतलब कुछ भी नहीं
बस प्यारा है उन्हें अपना पद।

लोकतंत्र को कर बेहाल
बन रहे हैं ये मालामाल
इनकी भूख कभी ना मिटती
चाहे देश में पड़ जाये अकाल।

लकीर के फ़कीर बने रहेंगे
वोट बैंक के खातिर
नहीं बदलेंगे नियम कानून
देखो कितने शातिर।

बूढ़ी संसद, बूढ़े सांसद
बदलाव ना होता कुछ भी यहाँ
दो पैसे में बिकता है
जमीर और ईमान जहाँ।

Monika Jain 'पंछी'
गीत नही गाता हुँ |
बेनकाब चेहरे हैं , दाग बड़े गहरे हैं\ टूटता तिलिस्म,
आज सच से भय ख़ाता हूँ | गीत नही गाता हुँ |
लगी कुछ ऐसी नज़र, बिखरा शीशे सा शहर,
अपनो के मेले में मिट नही पता हूँ, गीत नही गाता हुँ |
पीठ में छुरी सा चाँद, राहु गया रेखा फाँद,
मुक्ता के क्षण में , बार बार बाँध जाता हूँ, गीत नही गाता हुँ |
..........
गीत नया गाता हूँ|
टूटे हुए तारों से , फूटे बसंती स्वर.
पत्थर की छाती में उग आया ना अंकुर,
झड़े सब पीले पात, कोयल की कुक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेत देख पता हूँ, गीत नया गाता हूँ|
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी,
अंतः की चिर व्यथा, पलाको पर ठिठकी,
हार नही मानूगा, रार नही ठानुगा,
कल के कपाल पर लिखता, मिटाता हूँ|
गीत नया गाता हूँ|

Friday 11 October 2013


Student Presentation 


First Year Student Sarthak Acharjee Presentation 



Keynote Speech by Sh.R.S.Tomar,Chairman BOG



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